Saturday, April 2, 2011

नाते रिश्ते का ख़याल Healty Relationship लेखक-सय्यद हामिद अली

अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया-
‘(नाते-रिश्ते को) काटने वाला जन्नत में नहीं जाएगा।‘
                  -बुख़ारी, मुस्लिम
कुरआन पाक में अल्लाह की बंदगी पर ज़ोर देने के फ़ौरन बाद आमतौर से बंदों के हक़ अदा करने पर ज़ोर दिया गया है और उसकी शुरूआत माँ-बाप और नातेदारों के हक़ से की गई है। जैसे कि फ़रमाया-
‘और अल्लाह की बन्दगी करो, उसके साथ किसी को साझी न बनाओ और माँ-बाप के साथ अच्छा सुलूक करो और रिश्तेदारों के साथ, यतीमों के साथ, ग़रीबों के साथ, नातेदार पड़ोसी के साथ, अजनबी पड़ोसी के साथ, मुसाफ़िर के साथ और अपने गुलामों के साथ अच्छा सुलूक करो।‘
हदीस में नातेदारों के हक़ और अधिकारों को बहुत अहमियत दी गई है और बताया गया है कि जो आदमी नातेदारों से नाता तोड़ लेता है और उनके हक़ अदा नहीं करता, वह जन्नत में न जा सकेगा। रिश्तेदारों के हक़ पर ज़ोर देते हुए और उसे स्पष्ट करते हुए अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया-
‘रिश्तों-नातों को जोड़ने वाला वह नहीं है जो बदले में रिश्ते जोड़ता है, बल्कि वह है कि जब उसके नातेदार उससे नाता तोड़ लें और उसके हक़ अदा न करें तो वह उन से ताल्लुक़ जोड़े और उनके हक़ अदा करे।‘
किताब-चालीस हदीसें, लेखक-सय्यद हामिद अली

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