आज मैंने दो ब्लॉग पर बाप बेटे और सास बहू की समस्याओं पर दो पोस्ट देखीं । दोनों जगह लोग अलग अलग लोगों को और उनके हालात को दोष दे रहे हैं।
इतनी बहस के बाद अभी तक तो यही तय नहीं हो पा रहा है कि दोष किसका है और कितना है ?
जो ख़ुद को इंसान बना पाए । उन पर भी ज़ुल्म ढहाए गए । इतिहास गवाह है कि सबसे ज़्यादा ज़ुल्म सबसे अच्छे लोगों पर ही हुआ है ।
इमाम हुसैन इसकी ज़िंदा मिसाल हैं।
तब सच्चा समाधान क्या है ?
इसे जानने के लिए इंसान को अपनी संकीर्णता और अपने पक्षपात की आदत छोड़नी होगी।
सारे ज़ुल्म की ज़ड़ यही है । जब भी किसी पर कोई ज़ुल्म हुआ तो ज़ालिम में ये दोनों बुराईयाँ ज़रूर मिलीं ।
जो भी आदमी हक़ और इंसाफ़ के लिए कुछ करना चाहता है तो उसे पहले ख़ुद को इन दोनों बुराईयों से पाक करना होगा। उसकी यही कोशिश साबित करेगी कि अपने इरादे के प्रति वह कितना गंभीर है ?
अपने अंदर बुराई को क़ायम रखते हुए बाहर की बुराई को मिटाने की कोशिश या तो नादानी कहलाती है या फिर पाखंड !
दुनिया के साथ साथ ब्लॉग जगत में भी आज यही चलन आम है ।
Friday, June 24, 2011
Friday, June 10, 2011
जल्दी ही बाबा रामदेव और केंद्र सरकार में फिर से कोई समझौता गुपचुप हो जाएगा
दो अलग अलग लेख पढ़े और उन पर ये टिप्पणियाँ दीं । आप लेख छोड़िए और दोनों टिप्पणियाँ देखिए :
एक साफ सुथरा लेख ।
संतुलित आकलन ।
विदेश में काला धन ।
बाबा का अनशन ।
जागेगा जन गण मन ।
मन बनाएं सु-मन।
मन में है सच्चा धन।
सबको दें सच्चा धन।
बाबा पे है दुनिया का धन।
इसीलिए हुआ दे दनादन दन।
यह एक मौलिक टिप्पणी आपके लिए गिफ़्ट , बाबा के सुरक्षित बच निकलने की ख़ुशी में ।
...और यह भी :
कोई भी कारोबारी आदमी सरकार के ख़िलाफ़ लड़ ही नहीं सकता और लड़ता भी नहीं । जो ऐसा करता है सरकार उस पर और उसके मददगार व्यापारियों पर ढेर के ढेर मुक़ददमे लगा देती है और ऐसी लड़ाईयों में जानें तक भी गवाँ चुके हैं लोग ।
क्या बाबा जी अपनी जान माल का नुक्सान सह पाएंगे ?
हमारा आकलन यह है कि जल्दी ही बाबा और केंद्र सरकार में फिर से कोई समझौता गुपचुप हो जाएगा और इस बार बाबा पूरी ईमानदारी से उसका पालन भी करेंगे ।
मामले की नज़ाकत योग सेना वाले बाबा अच्छी तरह समझ चुके हैं ।
एक साफ सुथरा लेख ।
संतुलित आकलन ।
विदेश में काला धन ।
बाबा का अनशन ।
जागेगा जन गण मन ।
मन बनाएं सु-मन।
मन में है सच्चा धन।
सबको दें सच्चा धन।
बाबा पे है दुनिया का धन।
इसीलिए हुआ दे दनादन दन।
यह एक मौलिक टिप्पणी आपके लिए गिफ़्ट , बाबा के सुरक्षित बच निकलने की ख़ुशी में ।
...और यह भी :
कोई भी कारोबारी आदमी सरकार के ख़िलाफ़ लड़ ही नहीं सकता और लड़ता भी नहीं । जो ऐसा करता है सरकार उस पर और उसके मददगार व्यापारियों पर ढेर के ढेर मुक़ददमे लगा देती है और ऐसी लड़ाईयों में जानें तक भी गवाँ चुके हैं लोग ।
क्या बाबा जी अपनी जान माल का नुक्सान सह पाएंगे ?
हमारा आकलन यह है कि जल्दी ही बाबा और केंद्र सरकार में फिर से कोई समझौता गुपचुप हो जाएगा और इस बार बाबा पूरी ईमानदारी से उसका पालन भी करेंगे ।
मामले की नज़ाकत योग सेना वाले बाबा अच्छी तरह समझ चुके हैं ।
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